Exploring the Extent of Human Knowledge: What Are the Real Limits of Our Understanding?
How far is the limit of human knowledge?
Answer: If I answer this question to you in simple language, then it will happen. There is no limit to man's knowledge until he limits himself. If you don't understand, on the basis of an example, you can see a person who starts learning right from birth. He first learns to crawl, walk, speak and then move. goes to school And he learns a lot from Waha. And he learns all this for his job. Eventually he gets a job. And he starts working. And he stops learning the same. Because whatever he was learning. For his job and when he got that, then what will he learn now. And he limits himself within the scope of that job. And he thinks, what is left to learn now.
But let me tell you. This is not the limit of the human mind. Human intelligence is much more severe than this. And it's mysterious. This is the problem of today's youth who are keeping their intelligence within a limited range. There is no need for them to know anything else. Because they think He knows everything. But it is not so. Today, if we talk about the intelligence of an average man, then he uses only 1% of his intelligence. Or not even that. Man is working like a machine. As if he is not alive. the work being given to him. He just keeps doing it without thinking. Because in today's run-of-the-mill life, no one has that much time. That he should consider these things. Just think about how man is working without thinking.
Four friends go to a restaurant and order four plates of chicken.
And talks to his friends. Friend, nowadays birds are not visible in the air, when I was young, I used to see many birds. Flying in the air says another friend. This is all the fault of the mobile company. Those people keep the frequency of the network high in the air. Because of which when this frequency passes through the brain of birds flying in the air. So he becomes speechless and falls on the ground. And get killed. That's why their population is decreasing. Third friend says. All of that is fine. But there is another reason. That is, in our country there are problems like factories, motor vehicles, stubble burning, which release a large amount of carbon dioxide in the air. Due to which global warming occurs.
Due to which the atmosphere gets heated. And animals get killed. Many populations were destroyed just like that which used to come in the habituated zone. Today millions of species have become extinct and millions are on the verge of extinction. Our government should do something. This is a big problem. And while talking all this, people start finishing their food.
Now just think whether they are worried about the world. And if you think Yes, these are educated people. Because he is talking about sense. And there is some truth hidden in all their words. So have a look at this also. These educated people are the real reason for global warming. Let me tell you how. Meat was cooked in the food they ordered. And to make that much meat, many kilos of grains must have been fed everyday. How much land would be needed to grow that grain on which it can be cultivated. And many forests must have been cut to make land for agriculture. And many animals, birds, kits, moths, mammals, must have become homeless. And would have been killed. What was the reason for all this? Work done without thinking. Because without thinking, those friends put all the blame on others. But the real reason is those people. who eat meat. Because don't you know that the meat you eat has not been brought by catching it from some forest. It is an animal born artificially. One who eats a lot of grains. So that flesh can be made on his body. Because of which thousands of tonnes of food grains get wasted.
With which you can fill the stomach of millions of hungry people. Now you will say that what is wrong with this, should we not give food to the animals, should we starve them? But before saying so, think whether those creatures were born naturally. He was born for you. so that you can eat them. If you do not eat them, then there will be a lot of savings of food grains in your country, in this world. By saving grains, you can eliminate starvation. When the competition for more grain production ends, then you will see that the need for more land will also end for farming, because till that time food will be available even in less land, there will be no need to cut the forest and many animals will be rendered unemployed. Will avoid happening By saving the forest, the level of oxygen will increase and the amount of carbon dioxide will decrease, due to which global warming will reduce. Look, this problem has also been solved. There is one problem and that is it. Do you know the increase of methane gas in the atmosphere. The main reason for the spread of methane gas and carbon dioxide gas in the atmosphere is these organisms which are made artificially. All these harmful gases are released from their body. Means, if these artificially born creatures decrease, then this gas will also decrease in the environment.
So till now you have come to know that how man works without thinking. And saves himself from all faults. We will talk about the limits of human knowledge in the next part.
Mr.S
मनुष्य की ज्ञान की सीमा कहा तक है।
उत्तर : यदि मे आप को सरल भाषा मे इस सवाल का उत्तर दू तो ये होगा की । मनुष्य की ज्ञान की कोई सीमा नहीं है जब तक की वो खुद को सीमित न कर दे । नहीं समझे तो एक उधारण के तोर पे आप किसी एसे मनुष्य को देख सकते हो जो पैदा होने से ही सीखना शुरू कर देता है। वो पहले रेगना , चलना ,बोलना ओर फिर दोरना सीखता है। स्कूल जाता है। ओर वाहा से वो बहुत कुछ सीखता है। ओर ये सब वो अपने नोकरी के लिए सीखता है। अंततः उसे नोकरी मिलती है। ओर वो नोकरी करने लगता है। ओर वो वही सीखना बंद कर देता है। किउकी वो ये जो कुछ भी सीख रहा था । अपने नोकरी के लिए ओर जब वो ही उसे मिल गई तो अब वो क्या सीखेगा । ओर अपने आप को उस नोकरी के दायरे मे सीमित कर लेता है। ओर उसे लगता है, अब सीखने को बचा ही क्या है।
पर मे आप को बता दू । ये मनुष्य के मस्तिष्क की सीमा नहीं है। मानव बुद्धि इससे कई ज्यादा तिष्ण है। ओर रहस्यमई है। ये तो रही आज की युवाओ की जो अपने बुद्धि को एक सीमित दायरे मे करते जा रहे है। उन्हे कुछ ओर जानने की जरूरत ही नहीं है। किउकी उन्हे लगता है। उन्हे सब कुछ पता है। पर एसा नहीं है।आज हम यदि एक ओसतन पुरुस की बुद्धि की बात करे तो वो अपने बुद्धि का सिर्फ 1% ही इस्तेमाल करता है। या वो भी नहीं। मनुस्य तो एक मशीन की भांति काम कर रहा है। जैसे वो जीवित ही न हो । उसे जो काम दिया जा रहा है। वो उसे बिना सोचे बस करता जा रहा है। किउकी आज कल की भागदौर भरी ज़िंदगी मे किसी के पास इतना टाइम ही नहीं है। की वो इन बातों पर विचार करे । जरा आप विचार कीजिये की मानुष किस तरह बिना सोचे समझे काम कर रहा है।
चार दोस्त किसी रेस्तौरेंट मे जाके चार प्लेट चिकन ऑर्डर करते है।
ओर अपने दोस्तो से बाते करता है। की यार आज कल पक्षी दिखाई नहीं देते हवा मे , जब मे छोटा था तो बहुत सारे पक्षियो को देखता था । हवा मे उड़ते हुये । दूसरा दोस्त कहता है। ये सब गलती मोबाइल कंपनी की है। वो लोग हवा मे network के frequency तेज रखते है। जिस कारण हवा मे उड़ने वाले पक्षियो के दिमाग से जब ये फ्रिक्वेन्सी गुजरती है। तो वो बेसूद होकर जमीन पर गिर जाते है। ओर मारे जाते है। इसलिए इनकी आबादी कम होती जा रही है। तीसरा दोस्त कहता है। वो सब तो ठीक है। पर एक कारण ओर है। वो है की हमारे देश मे एसे फैक्ट्रीज़,मोटर गड़िया ,पराली जालना ,जेसी समस्या है जो बड़ी मात्रा मे कार्बन डाइ ऑक्साइड हवा मे छोड़ते है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।
जिससे वातावरन गरम हो जाता है। ओर जानवर मारे जाते है। कई आबदिया तो एसे ही नष्ट हो गई जो habituated zone मे आती थी। आज लाखो प्रजातिया विलुप्त हो गई ओर लाखो विलुप्त होने की कगार पे है। हमारी सरकार को कुछ करना चाइए । ये एक बड़ी समस्या है। ओर यही सब बाते करते हुये ओ लोग अपना खाना खत्म करने लग जाते है।
अब जरा आप सोचिए क्या इन्हे दुनिया की चिंता है। ओर अगर आप को लगता है। की हाँ ये पढे लिखे लोग है। किउकी ये समझदारी की बाते कर रहे है। ओर इनके सभी बातों मे काही न काही सच्चाई छुपी है। तो एक नजर इस बात पर भी डालिए की । ग्लोबल वार्मिंग की असली वजह येही पढे लिखे लोग है। कैसे तो चलिये मे आप को बताता हु। जो खाना इनहोने ऑर्डर किया उसमे मांस को पकाया गया था। ओर उतने मांस को बनने के लिए कई किल्लो अनाज हर रोज खिलाया गया होगा। उस अनाज को उगाने के लिए कितनी अधिक भूमि की आवश्यकता होगी जिस पर खेती की जा सके । ओर खेती के लिए भूमि बनाने के लिए कई जंगल काटे गए होंगे । ओर कई जानवर , पक्षी , किट , फतिंगे ,मेमल्स , बेघर हो गए होंगे। ओर मारे गए होंगे । इन सब की वजह क्या था । बिना सोचे समझे किया गया काम । किउकी बिना सोचे समझे उन दोस्तो ने सारा इल्जाम दूसरों पे डाल दिया । पर असली वजह तो वो लोग है। जो मांस को खाते है। किउकी क्या आप को नहीं पता की जो मांस आप खाते हो वो जीव कही किसी जंगल से पकड़ कर नहीं लाया गया होता है। वो तो कृत्रिम तरीके से पेदा किया जानवर होता है। जो की बहुत अधिक अनाज खाता है। जिससे उसके शरीर पर मांस बन सके । जिससे हजारो टनो मे अनाज बर्बाद होता है।
जिससे आप लाखो भूखे इन्सानो का पेट भर सकते है। अब आप कहेंगे की इसमे बुराई ही क्या है क्या हमे जानवरो को भोजन नहीं देना चाहिए उन्हे भूखे मार दे क्या । पर एसा बोलने से पहले सोचिए की क्या वे जीव प्राकरतीक तोर से पेदा हुये थे । उन्हे आपके लिए पेदा किया गया था । ताकि आप उन्हे खा सके। यदि आप इन्हे नहीं खाते तो आपके देश मे , इस दुनिया मे आनज की काफी बचत होगी। आनज के बचत से आप भुखमरी को खत्म कर सकते है। अधिक अनाज उत्पादन की होड जब खत्म होगी।तब आप देखेंगे की अधिक भूमि की अवश्यकता भी खत्म हो जाएगी खेती के लिए किउकी उस समय तक कम भूमि मे भी भोजन प्र्यप्त उपलब्ध हो जाएगा इससे जंगल को काटने की आवस्यकता नहीं रहगी ओर इससे कई जानवर बेगार होने से बचेंगे । जंगल के बचने से ऑक्सिजन का लेवेल बढ़ेगा ओर कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा कम होगी इससे ग्लोबल वार्मिंग कम होगी। लो ये भी समस्या सॉल्वे हो गई। एक समसाया ओर है ओर वो है। वातावरण मे मीथेन गॅस का बढ़ जाना क्या आप को पता है। वातवर्ण मे फेले मीथेन गॅस ओर कार्बन डाइ ऑक्साइड गॅस की मुख वजह येही जीव है जिनहे कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है। इनकी बॉडी से येही सभी हानिकारक गसिस रिलीस होती है। यानि ये कृत्रिम तरीके से पैदा होने वाले जीव कम हो जाए तो ये गसिस भी वातवारन मे कम हो जाएगी ।
Examining the Extent of Human Knowledge and How Far We Can Go
keywords: limit of human knowledge, understanding boundaries, learning opportunities)
Exploring Different Areas and Disciplines to Expand Our Understanding
keywords: areas of knowledge, scientific fields, knowledge boundaries)
The Role of Technology in Helping Us Reach Further into Unknown Territory
keywords: technology advancements, data analysis tools, applications to help us learn)
The Importance of Interdisciplinary Thinking & Collaboration in Expanding Knowledge
keywords: interdisciplinary thinking, collaboration between different fields, journey of discovery)
What are The Ethical Considerations When We Push Boundaries?
keywords: ethical considerations for pushing boundaries, responsible use of knowledge)
Conclusion: Reaching for the Limitless Possibilities & Expanding
तो यंहा तक तो आप ने जाना की कैसे मनुष्य बिना सोचे समझे काम करता है। ओर खुद को सभी दोषो से बचाता है। मनुष्य की ज्ञान की सीमा पे अगले भाग मे ओर बात करेंगे।
Mr.S