🌞 छठ पूजा 2025: शुभ मुहूर्त, सही पूजा विधि और ज़रूरी सामग्री !
Chhath Puja 2025: Date, Shubh Muhurat, Samagri & Sampurna Puja Vidhi | Best Guide
छठ पूजा 2025 की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, और सम्पूर्ण पूजा विधि जानें। व्रत नियम, खरना का महत्व और सूर्य देव को अर्घ्य देने की ज़रूरी सामग्री की पूरी लिस्ट।
परिचय: छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा, मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और पवित्र हिन्दू त्यौहार है। यह पर्व सूर्य देव (सूर्य षष्ठी) और छठी मैया को समर्पित है। इस दौरान संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 36 घंटे का कठोर व्रत रखा जाता है। यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
छठ पूजा 2025: महत्वपूर्ण तिथियाँ और शुभ मुहूर्त
छठ पूजा का पर्व 4 दिनों तक चलता है। साल 2025 में इसकी तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
| दिन | त्यौहार | तिथि (Date) | शुभ मुहूर्त और समय |
| पहला दिन | नहाय खाय (Nahay Khay) | [25] अक्टूबर 2025 | 25सूर्योदय से शुरू |
| दूसरा दिन | खरना (Kharna) | [26] अक्टूबर 2025 | सूर्यास्त के बाद खरना का प्रसाद |
| तीसरा दिन | संध्या अर्घ्य (Dala Chhath) | [27] अक्टूबर 2025 | संध्या अर्घ्य का समय: शाम [Time] |
| चौथा दिन | उषा अर्घ्य और पारण (Parana) | [28] अक्टूबर 2025 | उषा अर्घ्य का समय: सुबह [Time] |
*(नोट: तिथियाँ चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं और स्थानीय पंचांग के अनुसार समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है। सटीक समय के लिए अपने स्थानीय पुजारी से सलाह लें।)
छठ पूजा की सम्पूर्ण पूजा विधि (Day-wise Puja Vidhi)
छठ पर्व के दौरान सूर्य देव की उपासना की चार मुख्य अवस्थाएं हैं:
1. पहला दिन: नहाय-खाय (शारीरिक और आत्मिक शुद्धिकरण)
व्रती इस दिन स्नान करके नए या साफ़ कपड़े पहनते हैं।
सिर्फ़ सात्विक भोजन (जैसे कद्दू-भात) ग्रहण किया जाता है।
भोजन में किसी भी प्रकार के मसाले या तामसिक वस्तुओं का प्रयोग वर्जित होता है।
यह भोजन ग्रहण करने के बाद, व्रती अगले दिन खरना होने तक उपवास रखते हैं।
2. दूसरा दिन: खरना (व्रत का संकल्प)
व्रती पूरे दिन का निर्जला (बिना पानी) उपवास रखते हैं।
शाम को, सूर्य अस्त होने के बाद, गुड़ और चावल की खीर (या रोटी) का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया जाता है।
इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद, व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
3. तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
इस दिन, बाँस की टोकरी (सूप या दउरा) में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद सजाया जाता है।
परिवार के सभी सदस्य व्रती के साथ नदी या घाट पर जाते हैं।
डूबते हुए सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया की पूजा की जाती है।
अर्घ्य देते समय संतान की खुशहाली और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
4. चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण (उगते सूर्य को अर्घ्य)
व्रती और परिवार के सदस्य ब्रह्म मुहूर्त में (सूर्य उदय से पहले) घाट पर पहुँचते हैं।
उगते हुए सूर्य को फिर से दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है।
अर्घ्य देने के बाद, व्रती घाट पर बैठकर छठी मैया की कथा सुनते हैं।
इसके बाद, व्रती पारण (Parana) करते हैं, यानी प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं।
छठ पूजा के लिए ज़रूरी सामग्री की लिस्ट (Samagri List)
यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी पूजा सही हो, इन मुख्य वस्तुओं को पहले से तैयार रखें:
| सामग्री का प्रकार | ज़रूरी वस्तुएँ |
| पूजा के बर्तन | बाँस की दो बड़ी टोकरियाँ (दउरा/सूप), दूध और जल के लिए तांबे का लोटा/गिलास, दीया, अगरबत्ती। |
| फल और सब्ज़ियाँ | गन्ना (पूरे तने वाला), केला (पूरा गुच्छा), नींबू, नारियल, हल्दी का पौधा (पत्ते सहित), पानी फल (सिंघाड़ा)। |
| प्रसाद | ठेकुआ (सबसे ज़रूरी), चावल के लड्डू, मिठाई। |
| अन्य सामग्री | सिन्दूर, हल्दी, चावल, पान के पत्ते, सुपारी, शहद, नए वस्त्र (व्रती के लिए)। |
निष्कर्ष:
छठ पूजा न सिर्फ़ एक त्यौहार है, बल्कि एक गहरी आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह कठोर व्रत, परिवार और समाज को एक साथ लाता है। इस पावन पर्व को पूरे मन से मनाएं और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करें।
जय छठी मैया!

